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हादसा / मिरास्लाव होलुब / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
वे लाते हैं हमारे पास कुचली हुई उंगलियां,
इसे ठीक कर दो डॉक्टर!
वे लाते हैं आंखें झुलसी हुई,
दिलों के शिकारी उल्लू,
वे लाते हैं एक सौ सफ़ेद शरीर,
एक सौ लाल शरीर,
एक सौ काले शरीर,
इन्हें ठीक कर दो, डॉक्टर,
तश्तरियों पर एम्बुलेंस की लाते हैं वे
ख़ूनी उन्माद,
हाड़-मांस की चीख़-पुकार,
जले कोयले की निस्तब्धता,
इसे ठीक कर दो, डॉक्टर!
और जब हम सिल रहे होते हैं घाव
इंच दर इंच,
रात दर रात,
तंत्रिका दर तंत्रिका,
पेशी दर पेशी,
आंखों से नज़र तक,
वे ले आते हैं
ख़ंज़र और भी लंबे
और अधिक ख़तरनाक गोले,
और भी अधिक शानदार जीत,
बेवक़ूफ़ !
अंग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र