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हादसे गुज़रे है दिल पर मेरे दो चार अभी / सिया सचदेव

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हादसे गुज़रे है दिल पर मेरे दो चार अभी
दर्द थम जाएगा लगते नहीं आसार अभी

 याद आयी है तेरी फिर मुझे इक बार अभी
भूलना तुझको मुझे लगता है दुश्वार अभी

हमने हर चंद सवालों का दिया चुप से जवाब
फिर भी लफ़्ज़ों की तेरे कम न हुई धार अभी

उसने हमदर्दी का इज़हार किया प्यार नहीं
लो बिखरने लगे रिश्तों के सभी तार अभी

 फ़र्क पड़ता नहीं उसको तेरी बर्बादी से
 यूँ किया मुझको सहेली ने ख़बरदार अभी

वो हर इक बात का मफ़हूम बदल देता है
उससे कुछ कहना सिया है तेरा बेकार अभी