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हादसे तीरगी हो गये / दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
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हादसे तीरगी हो गये
हौसले रोशनी हो गये
आदमी हो गये जानवर
देवता आदमी हो गये
रात भर जो थे अपने वही
सुबह को अजनबी हो गये
आपने हमको छू भर दिया
और हम सन्दली हो गये
हम ठहरते भला किसलिए
हम तो बहती नदी हो गये
हम जो आये तो सब खुश हुए
आप क्यों मातमी हो गये
पढ़ सको तो पढ़ो गौर से
‘शम्स’ खुद शायरी हो गये