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हादसों ने बहुत कुछ है सिखला दिया / उर्मिल सत्यभूषण
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हादसों ने बहुत कुछ है सिखला दिया
दिल थे नाजुक बहुत, जिनको पथरा दिया
वक़्त की मार गालों को दहक गई
आइने ने कुछ ऐसा ही दिखला दिया
हर सफर पे दोराहे खड़े हो गये
रास्ता जब हवाओं ने बतला दिया
पांव जब भी ज़रा डगमगाने लगे
गीत ने आ के छालों को सहला दिया
अब तो भाती नहीं साफ़-सुथरी डगर
इतना कांटों ने उर्मिल को सिखला दिया।