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हाय! अकेले रास्ता कटता नहीं है / उर्मिल सत्यभूषण
Kavita Kosh से
तुम प्रिय, यदि साथ दो तो
मैं कंटीलें झाड़ को चुमकार लूं
रास्ते से कंटको को बुहार लूं
पर अकेले बीहड़ों में
आगे पग बढ़ता नहीं
हाय! अकेले रास्ता
कटता नहीं
तुम प्रिय, यदि हाथ थामो
तो घनेरे जंगलों को
पार कर लूं
मैं अंधेरी घाटियों
से प्यार कर लूं
पर अकेले में अंधेरा
धन कभी फटता नहीं है
तुम प्रिय यदि प्यार दे दो
मैं तुम्हारे एक इंगित
पर अभी विषपान कर लूं
हंसते-हंसते मृत्यु का
आह्वान कर लूं
हाय! बिन नेह
दीप भी जलता नहीं
हाय! अकेले रास्ता
कटता नहीं है।