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हाय! खोखली तालियाँ / निशा माथुर

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अलसवेरे ढोलक की थाप, नौबत बधाईयाँ
सुरों की सप्तक संग, संगीत में रूबाईयाँ
किन्नरों की किस्मत में, कैसी ये रूसवाईयाँ
नित नित स्वांग रचाते, हाय बजाते तालियाँ
हाय खोखली तालियाँ, हाय खोखली तालियाँ!

बिन ब्याहे कुमकुम टीका, सौलह श्रंगारियाँ
तन अधूरा मन अधूरा, ना बजती शहनाईयाँ
दामन में आशीर्वाद की, भरते गोद भराईयाँ
ललना जनम लिये तो, वारी-वारी बलहारियाँ
हाय खोखली तालियाँ, हाय खोखली तालियाँ!

ना कोई अपना संगी साथी, ना रिश्तेदारिया
छोटी-सी खोली में तन्हा जीवन की तन्हाईयाँ
कदम कदम पर ठोकरें, औ समाज की गालियाँ
खुद का वजूद ढूंढतें, उफ कैसी लाचारीयाँ
हाय खोखली तालियाँ, हाय खोखली तालियाँ!

छीनी खुशी छीने सपने, क्या थी गुस्ताखियाँ
हो दरवेष, स्वांगी भेष, किससे कैसी यारीयाँ
कुदरत के अभिशाप पे, हाय प्रभु से दुहाईयाँ
किन्नर जनम कभी ना दीजे, ना दीजे तालियाँ
हाय खोखली तालियाँ, हाय खोखली तालियाँ!