हाय घुट-घुट के अपने अंदर लोग
प्यास से मर गए समंदर लोग
चाहते हैं शहर की रौनक़ हों
रंग-रोग़न लगा के खण्डहर लोग
क्या मनाएँगे जश्ने-हरियाली
सब्ज़ कपड़े पहन के बंजर लोग