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हाय घुट-घुट के अपने अंदर लोग / श्याम कश्यप बेचैन

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हाय घुट-घुट के अपने अंदर लोग
प्यास से मर गए समंदर लोग

चाहते हैं शहर की रौनक़ हों
रंग-रोग़न लगा के खण्डहर लोग

क्या मनाएँगे जश्ने-हरियाली
सब्ज़ कपड़े पहन के बंजर लोग