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हाय रे! सूर्यमुखी / सुधा चौरसिया
Kavita Kosh से
सूरजमुखी!
बता इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ
कैसे गुलाम हुई सूरज की
हालांकि तेरे पास क्या नहीं
तेरे रंग-रुप-सुगंध
सबको अचंभित करते हैं
फिर तू इतनी निर्बल, असहाय
और मूढ़ कैसे हुई सूरजमुखी!
बता सूरजमुखी!
तुम सर्वगुण सम्पन्ना को
किस धूर्तता से
सूरज ने गुलाम बनाया
तुम्हारी गुलामी की दास्तां
बड़ी खौफनाक रही होगी
अब तो परामुखी तुम्हारी नियति
तुम्हें जो मथती है
अपना वजूद
अपनी अस्मिता के लिए
उसके लिए तो तुम्हें
महाप्रलय करना ही होगा
वरना तू भूल जायेगी, कि
तू भी अपने पैरों से चल, अपने लिए
अपना सबकुछ हासिल कर सकती है
जो सूरज ने की है
अपने रूप-रंग-सुगंध की एवज में
तू भी धरती को
कुछ बेहतर बना सकती है
अपने जीवन से इस भयानक हादसे को
मिटा सूरजमुखी...