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हारे मारे शाम काले मळजो / मीराबाई
Kavita Kosh से
हारे मारे शाम काले मळजो। पेलां कह्या बचन पाळजो॥ध्रु०॥
जळ जमुना जळ पाणी जातां। मार्ग बच्चे वेहेला वळजो॥१॥
बाळपननी वाहिली दासी। प्रीत करी परवर जो॥२॥
वाटे आळ न करिये वाहला। वचन कह्युं तें सुनजो॥३॥
घणोज स्नेह थयाथी गिरिधर। लोललज्जाथी बळजो॥४॥
मीरा कहे गिरिधर नागर। प्रीत करी ते पाळजो॥५॥