ततैये मधुमक्खी के बीच हुई रस्साकशी
हुआ महातर्क दोनों में शक्ति ज्यादा किसकी
ततैया कह रहा, है सहस्र प्रमाण
तुम्हारा दंश नहीं है मेरे समान
मधुकर निरुत्तर, छलछला उठी ऑंखें
वनदेवी कहती कानों में उसके धीरे
क्यूँ बाबू, नतसिर! यह बात है निश्चित
विष से तुम जाते हो हार और मधु से जीत
मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा