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हालत'न नें या तरें घाइल कियौ / नवीन सी. चतुर्वेदी

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हालत'न नें या तरें घाइल कियौ।
निल बटा निल करते-करते निल कियौ॥

हम नें कातिब के चरन चाँपे नहीं।
जिन्दगी कौ फॅार्म खुद ही फिल कियौ॥

हम महूरत सोध कें निकरे ही कब।
चल पड़े जब हू हमारौ दिल कियौ॥

नीर जैसौ साफ-सुथरौ हो सुभाउ।
बिस-बुझे ब्यौहार नें फैनिल कियौ॥

जा हबा के दम सों हम परबत भये।
वा हबा नें ही हमें तिल-तिल कियौ॥

जिन्दगी दर जिन्दगी दर जिन्दगी।
"जिन्दगी नें इक सबक हासिल कियौ"॥