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हालात / प्रीति समकित सुराना

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लोगों की हर बात वही है
साल नया दिन रात वही है
बस थोड़ा मौसम बदला है
समय बुरा हालात वही है
रंग बनाता ऊपरवाला
रंगों की सौगात वही है
कर्म ही देता सबकुछ सबको
पैसे की औकात वही है
सोने की कीमत बदले पर
लोहे का आघात वही है
भूली बिसरी कितनी यादें
पर मेरे जज़बात वही है
मज़हब कितने ही बदलें पर
इंसानों की जात वही है
शतरंज बना जीवन सबका
शह बदली पर मात वही है
'प्रीत' नहीं बदलेगी दुनिया
बेमौसम बरसात वही है