भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाल तांई याद है / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ठीक है
भूलणिया भूल्या हुवैला
राग
रंग
छकड़ी
तीन चीज याद रैयी हुवैला
तेल
लूण
लकड़ी

पण
म्हनै तो
हालतांई याद है
थारै अंगां सूं फूटती
फूलां री सोरम
अर थारै डील रो
निवायो परस

…… बा जकड़ी
सांसां सागै गुत्थम-गुत्था हुयोड़ी
बै सांसां !