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हाल दिल का सुना नहीं सकते / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
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हाल दिल का सुना नहीं सकते
आप को हम रुला नहीं सकते
जा तो सकते हो छोड़ कर मुझ को
तुम मेरे दिल से जा नहीं सकते
दिल जलाते हो क्या क़ियामत है
शम्ए-उल्फ़त जला नहीं सकते
हम तुम्हारे हसीं तसव्वुर से
दिल का दामन छुड़ा नहीं सकते
इश्क़े-सादिक़ की शम्ए-रौशन को
लाख तूफ़ां बुझा नहीं सकते
शे`र हम अंजुमन में ऐ 'रहबर`
पढ़ तो सकते हैं गा नहीं सकते