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हिंगलू भरी बादल लाव / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हिंगलू भरी बादल लाव
म्हारा मान-गुमानि ढोला
वा तो फलाणा राम आंगण ढोलो रे
म्हारा माल-गुमानी ढोला
वे तो फलाणा राम हैं पोंच वाला रे
वी तो आवता सा जानीड़ा जिमाड़े रे