भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हिंदू सांसद / असद ज़ैदी
Kavita Kosh से
आपका पानी बेस्वाद
आपका खाना ख़राब
आपकी ज़बान ग़लीज़
आपकी पोशाक नक़ली
आपका घर बेहूदा
आपका बाहर बेकार
आपकी रूह लापता
आपका दिल मुर्दार
आपका जिस्म आपसे बेज़ार
आपका नौकर भी है आपसे नाराज़
मेरा वोट लिये बग़ैर भी
आप मेरे सांसद हैं
आपको वोट दिये बग़ैर भी
मैं आपकी रिआया हूं
अचानक आमने सामने पड़ जाने पर
हम करते हैं एक दूसरे को
विनयपूर्वक नमस्कार।