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हिज्र में गुज़री स्याह शबों को पास बिठाओ शेर कहो / कनुप्रिया
Kavita Kosh से
हिज्र में गुज़री स्याह शबों को पास बिठाओ शेर कहो।
शेर ही कहना है प्यारे तो दर्द कमाओ शेर कहो ।
हँसते रहने वालों के दिल थोड़ा सा मुस्काते हैं
तुम रो-रोकर दिल को थोड़ा और दुखाओ शेर कहो ।
तोड़ लो अपने सारे मरासिम इस दुनिया से लोगों से
और मेरी जाँ अपने मरासिम ख़ुद से बढ़ाओ शेर कहो ।
बस्ती-बस्ती आग लगा दो जंगल-जंगल आब लिखो
दुनिया के आगे इसकी हर रस्म जलाओ शेर कहो ।
इश्क़-ए-मुर्शिद इश्क़-ए-वली अपने महबूब की वहशत में
इश्क़ ने हुक़्म दिया है हमको नाचो गाओ शेर कहो ।