भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हिदायत / लिण्डा पास्टन / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने दुख को तुम अपनी बाँहों में झुलाओ
सो जाए वह, नींद में हो जब, उसे छोड़ आओ

चुपचाप ले जाकर उसे बिस्तर पर लिटाओ
फिर वैसे ही दबे पाँव वापिस लौट आओ

पल भर के लिए तुम कुछ राहत महसूस करोगे
ख़ामोशी छाई होगी, पर तुम ज़रा न घबराओ

बग़ल के कमरे में दुख लेटा मचल रहा होगा
उधेड़बुन जैसा मन में कुछ चल रहा होगा

जल्द बुलाएगा तुमको वो, लेकर तुमरा नाम
बिन तुम्हारे कैसे चलेगा, भैया, उसका काम

2018

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
          Linda Pastan
           Instruction

You must rock your pain in your arms
until it’s asleep, then leave it

in a darkened room
and tiptoe out.

For a moment you will feel
the emptiness of peace.

But in the next room
your pain is already stirring.

Soon it will be
calling your name.

Winter 2018