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हिन्दी विन्दी होतै कभियो आबेॅ तेॅ ऐत्ता छै / अमरेन्द्र

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हिन्दी विन्दी होतै कभियो आबेॅ तेॅ ऐल्ता छै
नयका छौड़ा-छौड़ी केॅ तेॅ एकरौ सेँ परहेज
डैड, ममी, मम, अंकल-बंकल के चललोॅ छै क्रेज
चुस्त कमीजोॅ के चलती मेँ के पीन्है खलता छै
जे देशी, जे ठेठ गँवारू ओकरो मुँह पर सॉरी
बाबू-मैया के बदला मेँ सब बोलै छै सर
जुग-जमाना बदली गेलै जेकरा देखोॅ-टर्र
हिन्दी रोॅ स्त्रीलिंग-पुलिंग के चललोॅ छै दौरी
ई देखी केॅ ठेठी केॅ तेॅ आपने प्राण उड़ै छै
मूँछ्है केॅ जोॅ थाह मिलै नै की करतै भदरोइयाँ
अंगरेजी के मौंगरी पर केना केॅ जमतै चोइयाँ
भीतरे-भीतर सब्भे ठेठी मोने-मोॅन कुढ़ै छै
हिन्दी के उद्धारक हिन्दी बोलै मेँ शरमावै
हिंगलिस्तानी हिन्दी केॅ बन्दरिया रँ नचवावै।श