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हिन्दू, ईसाई, सिक्खो-मुसलमान हो गए / सूरज राय 'सूरज'
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हिन्दू, ईसाई, सिक्खो-मुसलमान हो गए.
अहमक ओ सरफिरे थे जो इंसान हो गए॥
दो-चार चापलूसों ने तारीफ़ क्या करी
वो आईने को देख के अंजान हो गए॥
बेबस-ग़रीब बाप की बेटी जवां हुई
सारे दुकानदार मेहरबान हो गए॥
हर वक़्त चाहते हैं मैं घुटनों के बल रहूँ
लगता है मेरे दर्द भी भगवान हो गए॥
भाई ने मेरे फोड़ दी बोतल दवाओं की
मुश्किल तमाम फैसले आसान हो गए॥
दुनिया पलट-पलट के मुझे देख रही है
सुन लो न कि दीवार के भी कान हो गए॥
"सूरज" तेरे बदन से चुरा के कोई किरण
जितने चिराग़ थे सभी सुल्तान हो गए॥