हिमतूफ़ान रो रहा है / सिर्गेय येसेनिन / अनिल जनविजय
हिमतूफ़ान रो रहा है जैसे बंजारे का इकतारा
औ’ उस प्यारी-सी लड़की की दुष्ट है मुस्कान
डराता है मुझे उसकी नीली आँखों का इशारा?
सब कुछ जानना चाहूँ मैं, सब-कुछ से अनजान
बहुत फ़र्क है हम दोनों में, हम ज़रा मेल नहीं खाते
एकदम युवा हो तुम औ’ मेरी उमर गुज़र चुकी है
हिमपात की ये रात है, बर्फ़ से धरती ढक चुकी है
तुम्हारे ख़ुशी के दिन हैं ये, मुझे दिन वो याद आते
मैं बिन लाड़-प्यार बेचारा, अब तूफ़ान मेरा इकतारा
उठे जब दिल में झंझावात, तेरी मुस्कान का सहारा
4./ 5 अक्तूबर 1925
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Сергей Есенин
Плачет метель, как цыганская скрипка…
Плачет метель, как цыганская скрипка.
Милая девушка, злая улыбка,
Я ль не робею от синего взгляда?
Много мне нужно и много не надо.
Так мы далеки и так не схожи —
Ты молодая, а я все прожил.
Юношам счастье, а мне лишь память
Снежною ночью в лихую замять.
Я не заласкан — буря мне скрипка.
Сердце метелит твоя улыбка.
4 / 5 октября 1925