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हिमपात / येव्गेनी येव्तुशेंको

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आकाश से श्वेत हिमकण
गिर रहे हैं धरती पर
हो रहा है हिमपात
मैं चाहूँ यह
जीवन बना रहे पृथ्वी पर
हो न कोई आघात

आत्मा
चिह्नरहित-सी
खो गई है किसी की
बर्फ़ ऐसे गिर रही है
जैसे चक्की में पिसी-सी

श्वेत हिमपात
के समय ही कभी शायद
इस दुनिया से
चला जाऊँगा मैं भी
दुःख नहीं
मुझे मृत्यु का
चाहूँ नहीं मैं चिरजीवन
चाहूँ नहीं मैं जय भी

चमत्कार
होता है कोई
मेरा विश्वास नहीं है
मैं हिम बनूँगा
या सितारा
कोई आसार नहीं है

पापी हूँ ज़रा भी
मैं नहीं सोचता ऐसा
जीवन को
प्यार किया है
जिया उसे कैसा-कैसा

और रहा सदा वह मेरा
सीधा, सरल व सादा
पर मैंने
रूस को पाया
बेहतर जीवन से ज़्यादा

रूस को
प्यार किया है मैंने
अपना हृदय
उसे दिया है मैंने
रूस छिपा है
मेरे रक्त की हर बूँद के पीछे
चाहे तैरूँ
जीवन-नदिया में
या दबा रहूँ बर्फ़ के नीचे

जब कभी
मुसीबत आई मुझ पर
मैं ज़रा नहीं घबराया
क्योंकि रहा
हमेशा मुझ पर
मेरे रूस का साया

मेरे मन में
जीवित है आशा
इस पूरी चिंता के साथ
जब आएगी आफ़त
मेरे रूस पर
मैं रहूँगा उसके पास
मदद करूँगा
ताक़तभर उसकी
चाहे ज़रा न हो आभास

मैं चाहूँ कि
रूस मेरा
मुझे भूल भले ही जाए
जब वो हो अपनी धुन में
और चाहूँ कि
रहे सुरक्षित वह
सदा-सदा ही
पृथ्वी के इस जीवन में

मैं चाहूँ कि
श्वेत हिमपात पहले की तरह
होता रहे सदा ही
और
पूश्किन ने देखी थी जैसी
रहे रूस की अदा वही

श्वेत हिमकण
गिर रहे हैं
आकाश से धरती पर
श्वेत इतने कि क्या कहूँ
चिह्न मेरे हों
या अजनबी
मिट जाएँ सब जहाँ-तहूँ

अमर नहीं
हो सकता मैं
पर मुझे आशा है
जीवित रहूँगा
मैं भी तब तक
जब तक जीवित रूसी भाषा है