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हिम्मत हिरासत में / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
आजकल अख़बार भी ख़त है
तेज़ ख़बरों पर महावत है
एक चेहरा
सूचनाओं के सहारे
झाँक जाता है
हर जगह की
भीड़ भेड़ों की तरह से
हाँक जाता है
हाँक में शीरीं नफ़ासत है
आजकल अख़बार भी ख़त है
किस तरह
बापू निचोड़े जा रहे हैं
क्या कहे कोई
हर तरफ़ हिम्मत
हिरासत में खड़ी है
दूध की धोई
यह अनोखा महाभारत है
तेज़ ख़बरों पर महावत है