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हिम्मत / उमा अर्पिता
Kavita Kosh से
मैं--
लगातार नागफनी के
घने जंगल के
बीच-से गुजर रही हूँ
मेरे शरीर पर खिलते हुए
रक्त के सुर्ख फूल
नागफनी के काँटों पर
हँस रहे हैं
आश्चर्य है,
ज्यों-ज्यों
रक्तिम फूलों की खिलखिलाहट
वातावरण में गूँज रही है
नागफनी के जंगल
आप से आप
सिमटते जा रहे हैं!
काँटों से बचकर
चलने से
बेहतर है
नंगे तलुओं से
उन्हें रौंद डालना।