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हियरा में फूल बन के खिले कौनो-कौनो बात / मनोज भावुक

हियरा में फूल बन के खिले कौनो-कौनो बात
हियरा में शूल बन के हले कौनो-कौनो बात

जज्बात पर यकीन कइल भी बा अब गुनाह
दिल में उतर के दिल के छले कौनो-कौनो बात

अचके में पैर राख में पड़ते पता चलल
बरिसन ले आग बन के जले कौनो-कौनो बात

रख देला मन के मोड़ के, जिनिगी सँवार के
तत्काल दिल में लागे भले कौनो-कौनो बात

अनुभव नया-नया मिले ‘भावुक’ हो रोज़-रोज़
पर गीत आ गजल में ढ़ले कौनो-कौनो बात