हिरणों का शिकार करती स्त्रियाँ / विनोद भारद्वाज
अवध का एक पुराना मिनिएचर देखकर
क्या कहा तुमने
शिकार भी करती हैं स्त्रियाँ
घने और बीहड़ जंगलों में जाती हैं
उनके कोमल हाथों में धनुष होते हैं
बन्दूकों से वे अचूक निशाने लगाती हैं
वह एक तस्वीर थी
पाँच औरतें थीं उसमें
और वे हरे रसीले चमकीले जंगल में
हिरणों का शिकार कर रही थीं
उनकी पोशाकें सुन्दर थीं
बहुत सुन्दर थीं उनकी पगड़ियाँ
उनके पैरों में शानदार डिज़ाइन वाले जूते थे
लेकिन ज़रा हिम्मत तो देखिए
उन कमबख़्त हिरणों की
वे अपनी पूरी मस्ती में थे
हवा में उछल रहे थे
हरी घास की एक नई चमक को
अपनी छलाँग में पहचान रहे थे
देखो, उस गुलाबी पोशाक वाली सुन्दरी को
वह कुछ कह रही है दूसरी से
उसके किसी निर्मम आदेश या
उसकी ख़तरनाक बन्दूक के प्रति
उदासीन हैं ये हिरण
एक ने बड़ी ज़ोर से छलाँग लगाई
दूसरे ने हरे रंग में अपना मुँह चमकाया
तीसरे ने शायद धीरे-से कुछ गाया
पाँच स्त्रियाँ हैं इस जंगल में
शायद इसीलिए हिरण आश्वस्त हैं
मुस्टण्डे मूँछों वाले महाराजा कहीं नज़र नहीं आ रहे
न ही उनके हाथियों, शिकारियों और चमचों ने
सारे जंगल को रौंद रखा है
यह एक अलग तरह का दिन है
एक दूसरी ही तरह का हरा रंग चमक रहा है
आज स्त्रियाँ शिकार करने को निकली हैं
क्या ये रानियाँ हैं ?
ज़रूर, ये रानियाँ ही होंगी
कुछ उनकी सेविकाएँ होंगी और कुछ सखियाँ
बन्दूक से टकटकी बाँधकर
वे उस भव्य दृश्य को देख रही होंगी
क्या ये सचमुच शिकारी औरतें हैं ?
अवध के किसी चित्रकार ने शायद नवाब के
मनोरंजन के लिए
तस्वीर बनाई हो
हो सकता है, उसने सच्चाई ही दिखाई हो
भरोसे से कुछ कहा नहीं जा सकता
पर आपको आख़िर शक़ क्यों हो रहा है, जनाब ?
स्त्रियाँ बहुत बहादुरी के काम कर चुकी हैं
इस रक्तरंजित इतिहास में
कितनी अद्वितीय मिसालें मौजूद हैं
विदुषी, सुन्दर और बहादुर स्त्रियों की
वे जो भी काम करती हैं
सलीके और सुन्दरता से करती हैं
लेकिन हिरण कुछ और ही सोच रहे हैं
इस अद्वितीय क्षण में वे कवियों की तरह हो गए
उन्हें विश्वास है स्त्रियाँ
स्त्रियों की तरह शिकार करेंगी
एक कुशल कोमलता और सुन्दरता के साथ
और वे निश्चिन्त होकर
एक शानदार, बहुत ऊँची और शायद
आख़िरी छलाँग हवा में लगाते हैं ।