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हिलमिल रहते सारे / बालकृष्ण गर्ग

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ठन-ठन-ठन-ठन बजे अठन्नी, खन-खन बजे रुपैया।
झन-झन-झन-झन झीगुर बोले, भन-भन उड़े ततैया।
भौं-भौं-भौं-भौं कुत्ता भौंके, खौं-खौं घुड़के बंदर।
छौं-छौं-छौं-छौं इंजन चलता, पौं-पौं करती मोटर।
चम-चम-चम-चम बिजली चमके, झम-झम बरसें बादल।
ढम-ढम-ढम-ढम ढ़ोल बोलता, छम-छम बोले पायल।
चिलमिल-चिलमिल चंदा करता, झिलमिल करते तारे।
खिल-खिल-खिल-खिल हँसते बच्चे, हिलमिल रहते सारे!
[बाल-भारती, नवंबर 1975]