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हिृस्की हो वा / चन्द्रमणि
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हिृस्की हो वा रम हो
संगहिम हमदम हो
असली जिनगी उएह एक जिनगी
जाधरि ने कोनो गम हो....गम हो
हा....हरे कृष्णा हरे रामा
दिनमे राति आ‘ रातिमे दिन हो
बिन संगी की जिनगी
असल जुआनी उएह जुआनी
उड़ा सकी जौं चिनगी
कामिनि आ‘ कंचन हो
पर बापक अरजल धन हो
.....असल जिनगी....
मन हो पैघ-पैघ हो खाहिस
पाकेट मुदा दिवाला
अनकहु बल पर जी लेरे मित्ता
दाता ऊपर वाला
बिन खटनी छन-मन हो
मन मैलहु चिक्कन तन हो
.....असल जिनगी....
पइसा थिक जीवन, मन मौजी
तइ सँ अधिक जरूरी
जीवन आर मरणमे रे मित्ता
एक सूत केर दूरी
मदिरालय अपन शरण हो
मुसकीटा एक धरम हो
.....असल जिनगी....