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हीरो / अज्ञेय
Kavita Kosh से
सिर से कंधों तक ढँके हुए
वे कहते रहे
कि पीठ नहीं दिखाएंगे--
और हम उन्हें सराहते रहे।
पर जब गिरने पर
उनके नकाब उल्टे तो
उनके चेहरे नहीं थे।