भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हुआ इस जग में ऐसा कौन / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
हुआ इस जग में ऐसा कौन
विषय रस किया न जिसने पान?
मिला ऐसा निर्मल न स्वभाव
रहा अघ से जो चिर अनजान!
अगर हों वृद्ध उमर में दोष
न साक़ी, करना उस पर रोष!
घात के प्रति करना आघात
तुम्हारा रहा न कभी विधान!