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हुआ व्याकुल बहुत है मन चले आओ चले आओ / रंजना वर्मा

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हुआ व्याकुल बहुत है मन चले आओ चले आओ
तुम्ही से प्यार का बन्धन चले आओ चले आओ

बहुत सूखी है मन - धरती दरारें हैं पड़ीं कितनी
बरस जाओ बनो सावन चले आओ चले आओ

हैं जहरीली हवायें चल रहीं नागिन सरीखी पर
तुम्हारा प्यार है चन्दन चले आओ चले आओ

तुम्हारी याद जैसे झिलमिली चादर सितारों की
हमारी भावना मधुबन चले आओ चले आओ

मुहब्बत की खिली है रातरानी जब से जीवन में
महक उट्ठा हमारा मन चले आओ चले आओ

दुआ है रब से ये मेरी यही है आरजू दिल की
न हो तुम से कभी अनबन चले आओ चले आओ

तमाशा बन गयी है जिंदगी मेरी तुम्हारे बिन
मिटा कर दिल की हर उलझन चले आओ चले आओ

तुम्हारी याद के बस चंद लम्हे ही बचे अब तो
इन्ही को मान कर जीवन चले आओ चले आओ

तुम्ही खुशियाँ हमारी हो मसर्रत हो तबस्सुम भी
तुम्ही तो दिल की हो धड़कन चले आओ चले आओ