हुए दानवों से चलन कैसे-कैसे / महावीर प्रसाद ‘मधुप’
हुए दानवों से चलन कैसे-कैसे
दले जा रहे हैं, सुमन कैसे-कैसे
शहीदों की है लोमहर्षक कथाएँ
किए कष्ट सबने सहन कैसे-कैसे
विचारा था क्या और क्या हो रहा है
लुटे सब सुनहले सपन कैसे-कैसे
मिला धूल में मान अभिमानियों का
हुए विश्व भर में पतन कैस-कैसे
मिटाने को धब्बा पराधीनता का
किए साथियों ने जतन कैसे-कैसे
बनाने को जीवन सफल मानवों का
गए कर मनीषी कथन कैसे-कैसे
किसी भी तरह स्थार्थ करने को पूरा
किए जा रहे दुर्दमन कैसे-कैसे
चढ़ी भेंट तन्दूर की एक अबला
लगे आज होने दहन कैसे-कैसे
अधर्मों का ज्वालामुखी फट पड़ा है
किए पापियों ने हनन कैसे-कैसे
हुए आम अब अपहरण और हत्या
लुटे जा रहे है, रतन कैसे-कैसे
बची है न बाक़ी निशानी किसी की
हुए जग में आवागमन कैसे-कैसे
हुआ आज भाई ही भाई का दुश्मन
बने नर्क रौरव सदन कैसे-कैसे
रहा ख़ून पी आदमी, आदमी का
गए उठ धरा से सुजन कैसे-कैसे
चलीं आंधियाँ अज से आलम यही है
उजड़ने लगे हैं चमन कैसे-कैसे
‘मधुप’ तेरी अभिव्यक्ति अनुपम बड़ी है
किए तूने चिन्तन-मनन कैसे-कैसे