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हुनका मनाय लेबेॅ चूड़ी खनकाय देवै / अनिल शंकर झा
Kavita Kosh से
हुनका मनाय लेबेॅ चूड़ी खनकाय देवै
नैन मुस्काय देवै, पलक झँपाय केॅ।
नैन सें रिझाय फनु बैन सें खिझाय देवै
सैन सें गिराय देवै धनुष चलाय केॅ।
सौ उलाहनाय देबै, लोर ढरकाय देवै
हुनका डुवाय देवै कजरा बहाय केॅ।
यहू पेॅ जों जड़ता तेॅ जी केॅ समझाय लेवै
लागी पिया पाँव लेबै सिसकी दवाय केॅ॥