Last modified on 26 जून 2013, at 18:07

हुसैन साहब! ये घोड़े आपको कहाँ मिले / मिथिलेश श्रीवास्तव

हुसैन साहब! ये घोड़े आपको कहाँ मिले
आततायियों के अस्तबलों में घायल थके पड़े हुए
खूनी जंगों से लौट कर अस्तबलों में सुस्ताते हुए
मैसूर महाराजा के किले की दीवारों के अनाम कलाकारों की कलाकारी से
महाराणा प्रताप के चेतक की आत्मा में
अरब, तुर्की, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के इलाकों से
जहाँ आज भी मध्ययुगीन तरीके से युद्ध लादे जा रहे हैं
हमने कई नस्ल के घोड़े देखे हैं
कई रजनीतिक रंग के घोड़े देखे हैं
हुसेन साहब, इन घोड़ों की परवरिश आपने अच्छी की है
मस्जिद की अजान सुन कर ये जागते हैं
मंदिर की लोरियों सरीखी घंटियों की आवाज सुन कर सोते हैं