हूँ ला-महदूद मेरी हद कुछ भी नहीं
ला-रेब हूँ, गो ऐन सनद कुछ भी नहीं
इंसान लकीरों में भी है ला-महदूद
देखें तो अज़ल और अबद कुछ भी नहीं।
हूँ ला-महदूद मेरी हद कुछ भी नहीं
ला-रेब हूँ, गो ऐन सनद कुछ भी नहीं
इंसान लकीरों में भी है ला-महदूद
देखें तो अज़ल और अबद कुछ भी नहीं।