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हृदय हमार आज मेघ संगे डोलत बा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’

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हृदय हमार आज मेघ संगे डोलत बा
मेघन का बीच जाके चित्त बा हेरा गइल।
ना जानीं कहाँ-कहँ दउरत ब मकत ब
कबहूँ बा इहाँ कबो कहाँ दू विला गइल।
बीना के तार ओकर बिजुरी बजावट बा
बार-बर, चमक-झमक, अँगुरी छुआ गइल।
बाजत करेजा में तान ओकर महातान
जइसे कि घहर घहर बज्जर घहरा गइल।
भरल-भरल बदल दल उमड़त ब घुमड़त ब
निविड़ नील अंधकार अंगे-अभेंग छ गइल।
मेघ संगे माके में हृदय के साथी बन
मदमातल हवा आज नाचे में मस्त भइल
जेने तेने धावत बा, बरजल ना मानत बा
हहरत बा माकत बा अइसन बउआ गइल।
हृदय हमार आज मेघ संगे डोलत बा
मेघन का बीच जाके चित्त बा हेरा गइल।