हेराय गेलै दैया गे / ब्रह्मदेव कुमार
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे।
घरबा मेॅ खोजलीं, ओसरबा पेॅ खोजलीं
एंगना दुआर, इनरबा पेॅ खोजलीं।
खोजतें-खोजतें हम बौराय गेली दैया गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
सासु सेॅ पूछलीं, ननदियो सेॅ पूछलीं
बड़की-मँझली, गोतनियों सेॅ पूदलीं।
जरंताहीं सिनी मुँ चमकाय देलकै दैया गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
केना पुछतलीं हम, ससुर-भैंसुर सेॅ
लजैली-मुस्कैली गेलीं, पूछलीं दियौर सेॅ।
दियौरें तेॅ ठिठुवा, देखाय देलकै दैया गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
खखोरै परान हमरोॅ, कहाँ गेलै टिकली
कनमूँहीं होय केॅ तबेॅ, पिया जी सेॅ पूछली।
पिया जी तेॅ हमरा, फुसलाय देलकै दैया गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
बड़ी आश लैकेॅ, तबेॅ इस्कूल घुसलीं
मास्टर जी सेॅ पूछलीं, हेडमास्टर जी सेॅ पूछलीं।
दीदी जी सेॅ पूछलीं, तेॅ लुलुवाय लेलकै देयौ गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
नाक दाबलेॅ-चापलेॅ, फेनु होसपीटलोॅ घुसलीं
डाक्टरोॅ सेॅ पूछलीं, सिस्टरोॅ सेॅ पूछलीं
सियसोॅ सेॅ पूछली, तेॅ बुमुवाय उठलै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
हारी-फारी गेलीं, वार्ड पारषदोॅ सेॅ पूछलीं
अध्यक्षोॅ सेॅ पूछलीं, उपाध्यक्षोॅ सेॅ पूछलीं
हिनी सिनी सेॅ सुनी केॅ, मुस्काय देलकै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
बीडियोॅ सेॅ पूछलीं, इसडियोॅ सेॅ पूछलीं
डरली-सहमली गेली, डीसियो सेॅ पूछलीं
डीसी साहब तेॅ सुनथै, गरमाय गेलै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
सिपाही सेॅ पूछलीं, दरोगा जी सेॅ पूछलीं
एसपी सेॅ पूछलीं, डीएसपी सेॅ पूछलीं
पुलिसें तेॅ उल्टे हमरा, धमकाय लेलकै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
वकीलोॅ सेॅ पूछलीं, मुख्तारोॅ सेॅ पूछलीं
जज साहब आरो पेशकारोॅ से पूछलीं।
कोटोॅ मेॅ तेॅ उल्टे खोड़ा पढ़ाय देलकै दैया गे
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
जेएमपी सेॅ पूछलीं, बीएमपी सेॅ पूछलीं
एमएलए सेॅ पूछलीं आरो एमपी सेॅ पूछलीं
हिनी सिनी तेॅ हमरा, बरगलाय देलकै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥
टिकनी मेॅ छपलोॅ छेलै, झारखंड के सपनमां
झारखंड विकास केरोॅ, लिखलोॅ योजनमां
कौनीं पपियहाँ, चोराय लेलकै दैया गे।
यहीं ठियाँ टिकुली, हेराय गेलै दैया गे॥