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हेलो / कन्हैया लाल सेठिया

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सूरज उगियो मजल मुंडागै
बेगा चालो रै,
आज आपणो आभौ साथी
आज आपणी भौम,
जुगां जुगां री तोड़ गुलामी
उठी आपणी कौम !

आज हिंयाळो घणो गळगळो
समदर लोट पळोट,
आज फरूकै धजा तिरंगी
दिल्ली रै गढ़ कोट,
सूता कांई ? आतै जुग रो
हेलो झालो रै !

मिनख-मिनख सै एक भेलदयो
भेद भाव री बाड़,
धरम धज्यां री फाक्यां में आ
मत रोपी ज्यो राड़ !

बण्या पुजारी मुल्ला मोटा
खा मोफत रो माल
मिणत-मजूरी करै जका ही
मां रा हीरा-लाल !

चूंसै रगत जगत रो, बै सै
हार्यो पाळो रै !

भणो, भणावो जे थे चावो
मिनख-जूण रो मोल,
अणपढ़ियां रो गयो जमानो
बां रा बींटा-गोळ,

आंक-ओळखै आंख नहीं तो
कोडयां बरगी-जाण,
कळ पुरजां री दुनियां चालै
आज अकल रै पाण,
आंवतड़ी पीढयां रै पथ स्यूं
कांटा टाळो रै !

बिसन पोखणूं छोड़ो, सुणल्यो
चाय तमाखू जैर,
नशा करै बै निज काया स्यूं
ज्यां रै कोई बैर ?

दूध दही घी खाओ, चूरो-
बाजर हंदा रोट,
खात नाख खेती निपजावो
बंधै धान री पोट,
खुद री करै रूखाळी बांरा
राम रूखाळो रै !

राजा ठाकर रया नै सह नै
सारीसो इदकार,
जोर जुलम स्यूं नहीं चुणीजै
बोटां स्यूं सिरकार,

पंचायत स्यूं सलटावो अब
सगळा झोळ झपाड़,
एकत राखो सदा राड़ के
आड़ी आछी बाड़,
जळम लियो थे बीं मायड़ री
कूख लियो थे बीं मायड़ री
कूख उजाळो रै,
सूरज उगियो मजळ मुंड़ागै
खाथा चालो रै !