हे कृष्ण!
तुम सच में बदल गये
नारीत्व का दोहन
देख लो तुम।
नहीं मिलने वाली
अब के तुमको
कोख कोई
देखना तुम
नहीं करने वाली
लाड़ तुमको
यशोदा कोई
देखना तुम
नहीं बनने वाली
कोई द्रौपदी
सखी तुम्हारी
देखना तुम
नहीं बंधेगी राखी
नहीं होगी
सुभद्रा कोई अब
देखना तुम
क्योंकि
तुम अब सिर्फ
देखते हो
निर्भया का कुचला जाना
और..
उस राक्षस का छूट जाना।