♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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हे जगदम्ब जगत मां अम्बे प्रथम प्रणाम करई छी हे!
नहिं जानि हम सेवा पुजा अटपट गीत गवई छी हे!
सुनलऊ कतेक अधम के मइय़ा मनवांछित फ़ल दई छी हे!
सुत संग्राम चरण सेवक के जनम क्लेश हरई छी हे!
सोना चांदी महल अटारी सबटा व्यर्थ बुझई छी हे!
एक अहां के प्रेम चाहई छी प्रान प्रदान करई छी हे!
दुख के हाल कहु कि मईया आशा ले जिवै छी हे!
हमरा देखि क आख मुनइ छी पापी जानि डरई छी हे!
प्रेमी जग स पावि निराशा नयन नीर बहवई छी हे !
नोर बटोरि आहां लय मैया मोती हार गथई छी हे!
भजई छी ताराणि निशिदिन किया छी दृष्टि के झपने।
यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से