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हे जागहोक जागहोक हे देबी जानु हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हे जागहोक<ref>जागिए</ref> जागहोक हे देबी जानु<ref>सुनिए; जानिए</ref> हे।
हे देबी, तोरा जगैने<ref>सुनिए; जानिए</ref> सब देबलोक जागत हे॥1॥
हे हमें कैसे जागबै गे दाइ, हे हमें कैसे जागबै।
हे अँचरा सूतल हे, भैया गोरिल मल<ref>एक देवता</ref> हे॥2॥
हे गोरिल सिरहनमा हे देबी, हे सोनामूठी छुरिया हे।
हे अँचरा कलपी<ref>कलफ देकर; चिकना करके; बिलखना</ref> गोरिल सुताए देहो हे॥3॥
हे घर पिछुअरबा में बसै सोनरबा भैया हे।
हे सभे दरब<ref>द्रव्य</ref> केरा गोलिया<ref>गोली</ref> बनाए देहो हे॥4॥
हे घर पछुअरबा में बसै लहेरिया<ref>लाह की लहठी आदि बनाने और उसे बेचने वाली एक जाति; लहेरी</ref> भैया हे।
हे सभे हे रँग में गोलिया रँगाए देहो हे॥5॥
हे पेन्हिए ओढ़िए देबी भेल समतुलबा<ref>तैयार; संतुष्ट</ref> हे।
हे खोएँछा भरि लेल देबी सभे रँगल गोलिया हे॥6॥
हे एक गोली फेंकल देबी हे, दुइ गोली फेंकल हे।
हे तेसर हे गोली सुगबा पताल खिरल<ref>गायब हो गया; पाताल चला गया</ref> हे॥7॥
हे सुगबा मारिए हे देबी, भेल समतुलबा हे।
हे चलि रे भेल दे देबी, गंगा असलनमा<ref>स्नान</ref> हे॥8॥
हे बाट रे बटोहिया कि तोहिं मोरा भैया हे।
हे भैया बताये रे देहो, कते<ref>कितना</ref> दूर गँगा मैया हे॥9॥
हे देबी, गाम के पछिम, चनन केरा गछिया हे।
हे देबी, ओहि रे तर बहै छै गँगा मैया हे॥10॥
सभे अभरनमा<ref>आमरण</ref> हे देबी, खोली नेराबल<ref>गिरा दिया; फेंक दिया</ref> हे।
हे देबी, करे जे लागल गँगा असलनमा हे॥11॥
नेहाये सुनाये<ref>‘नेहाये’ का अनुरणानात्मक प्रयोग</ref> हे देबी, भेल समतुलबा हे।
हे देबी, दिये रे लागल, सुरुज अरघबा हे॥12॥
हे सुरुज अरघ हे देबी, भेल समतुलबा हे।
हे देबी, खोजे जे लागल अपनो मंदिर घर हे॥13॥
ऊँची रे महलिया हे देबी, पुरुबे दुअरिया हे।
ओहि रे छिकै हे मैया, तोहरे मंदिर घर हे॥14॥

शब्दार्थ
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