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हे दादा कै छजै लाडो तूं क्यूं खड़ी / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हे दादा कै छजै लाडो तूं क्यूं खड़ी
रे मैं देखूं सू छैल बनै की बाट
केसरिया आवै रंग भरया
हे वो आवैंगे तोरी कैसे फूल
म्हारी लाडो कली अनार की
हे बापू कै छजे लाडो तूं क्यूं खड़ी
रे मैं देखूं सू छैल बनै की बाट
केसरिया आवै रंग भर्या
हे वो आवैंगे तोरी कैसे फूल
म्हारी लाडो कली अनार की
हे ताऊ कै छजै लाडो तूं क्यूं खड़ी
रे मैं देखूं सू छैल बनै की बाट
केसरिया आवैं रंग भर्या
हे वो आवैंगे तोरी कैसे फूल
म्हारी लाडो कली अनार की