हे दुनिया जिसनै हीणा समझै उसकी गैल पडै़ सै / हबीब भारती
हे दुनिया जिसनै हीणा समझै उसकी गैल पडै़ सै।
हे बान बैठणा ब्याह करवाणा हे बस मैं मेरै कडै़ सै।।
हे ना बूज्झैं करैं सगाई, टोह कै ठोड़-ठिकाणा
हे घाल जेवड़ा गेल्यां कर दें, पडै़ लाजिमी जाणा
हे जिस दिन दे दें धक्का बेबे, आगै हुकम बजाणा
हे यो तो बेबे घर अपणा सै, आगै देश बिराणा
हे को दिन रहल्यूं मां धोरै या जितणै पार पडै़ सै
हे सावित्री नै खुद टोह कै नै सत्यवान अपणाया
हे सीता खात्तर रच्या स्वयंबर जिब था ब्याह करवाया
हे द्रौपदी अर दमयन्ती नै मरजी तै हार पहराया
हे वें तो थी राज्यां की बेट्टी चो चाह्या सो पाया
हे म्हारे बरगी छोरीयां की बेबे किस्मत ओड कडै़ सै
हे कोए बतावै चातर स्याणी, सुथरी, लांबी, भूरी
हे कोए बतावै भोली, भूंडी, काळी अर बेसहूरी
हे कंगाल बतावैं हमनै ए जणूं उनकै भरी तिजूरी
हे आवै मजा इन लोगां नै यें देखैं ना मजबूरी
हे भोळे भूंडे कंगल्यां का यो न्यारा देश कड़ै सै
बाप की बेटी गुदडै़ लपेटी कहते धन पराया हे
जिसकी मरज्या बेटी उसका कहते भाग सुवाया हे
मिशाल बणाकै इन बातां की जा सै जाळ फलाया हे
मैं याहे बूझणा चाहूं सूं यू किसनै देश बसाया हे
बिन माता के मनै बता ये बाळक कौण घडै़ सै