हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हे दे सुत्तीड़ा साढ मास, हे दे उट्ठीडा कात्यग मास
उठूं सूं उठावां सां, छींके हाथ घलावां सां
छींके धरी चार कचोरी, आप खा के बाहमण दीजै
आप खा लाहा हो, बाहमण दीजै कहा हो
बाहमण नै दीजै बुड्डी सी गां, आगे पिच्छोकड़ मूते वा