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हे नारी / राकेश रवि

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उठै छौं कैन्हें तोरा झमान?
देखी केॅ बेटी हुनकोॅ जवान?
आ कथी लेॅ होय दोॅ तहूँ परेशान?
बेटी रोॅ बीहा तेॅ नै छै आसान।
कथी लेॅ देल्हौ है बोझोॅ भगवान
कहाँ सें लानथै वें सोरो समान
आरो बनावै लेॅ पूओॅ-पकवान?
दिन-रात हेनै केॅ हरदम परेशान।
बेटी रोॅ बीहा तेॅ नै छै आसान।
उट्ठोॅ अय नारी, इ इतिहास बदलोॅ
दुनियाँ के औरत रं तहूँ तेॅ संभलोॅ
आपना केॅ आपन्हैं जे नै दै सहारा
ओकरा लेॅ ओकरे है जिनगी छै सारा
सामरथ लेॅ सम्पत की? आरो सम्मान?
बीहा की? वैभव की? आरो भगवान?
एक्के ठोकर में सब्भे कुछ आसान।