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हे परिपूर्ण ब्रह्मा! हे परमानन्द! सनातन! सर्वाधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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हे परिपूर्ण ब्रह्मा! हे परमानन्द! सनातन! सर्वाधार!
हे पुरुषोत्तम! परमेश्वर! हे अच्युत! उपमारहित उदार॥
विश्वनाथ! हे विश्वभर विभु! हे अज अविनाशी भगवान!
हे परमात्मा! सर्वात्मा हे! पावन स्वयं जान-विज्ञान॥
हे वसुदेव-देवकी-सुत! हे कृष्ण! यशोदा-नँदके लाल!
हे यदुपति! व्रजपति! हे गोपति! गोवर्धनधर! हे गोपाल!
मेरे एकमात्र आश्रय तुम, तुम ही एकमात्र सुखसार।
तुम्हीं एक सर्वस्व, तुम्हीं, बस, हो मेरे जीवन साकार॥
कितने बड़े, उच्च तुम कितने, कितने दुर्लभ, दिव्य, महान।
गले लगाया मुझ नगण्यको, सब भगवाा भूल सुजान॥