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हे पिंजरे के मैना भजन कर राम के / महेन्द्र मिश्र
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हे पिंजरे के मैना भजन कर राम के।
हार मांस के देह बनल बा आज रहे काल्ह हइए ना।
घोड़ा हाथी माल खजाना संगवा तोरा जइहें ना।
भजन कर राम के।
कुल कुटुम्ब परिवार कबीला छूटिहें भइया बहिना।
जम जासूस पकड़ ले जइहें एको जतन लहइहैं ना।
भजन कर राम के।
नाता नेह सभी छुट जइहें टूटिहें तोरा डैना।
द्विज महेन्द्र अब चेत सबेरे आखिर देहिया रहिहें ना।
भजन कर राम के।