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हे पिता / शारदा झा

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हे पिता
अहाँक परिचय
मात्र जनक भेनाइ नहि
आ कि नहि छी अहाँ
मात्र पालनहारे टा
ओहि सँ बहुत बेसी अछि
अहाँक उत्तरदायित्व
एकटा सभ्य समाज के निर्माण मे
देखै छथि अहाँक बेटी
जीवन के
अहींक आँखि सँ
छी अहाँ ओकर
संवेदनाक रचनिहार
जीवनक विशाल परिदृश्य के
देखय लेल
एकटा विशाल वातायन जकाँ
अपन सबटा अनुभवक
इजोत में बाट देखबैत
हे पिता
अहींक व्यवहार
ओकर मायक प्रति,
समाजक प्रति,
स्थापित करैछ मानदंड
जकरा देखि
ओ गुनैत अछि
नीक बेजाय
अपने टा नहि
अनको लेल
अहाँ नहि छी अवलम्बे टा
अपन आंगनक एहि
फुनगी छुबै लेल बेहाल
पुष्प बेल के
अहाँ छी ओ उर्वर भूमि
जतय लता जमौने अछि
अपन जड़ि
खाद पाइन देब बला
माली अहीं छियैन
जे होइछ गर्वित आ हर्खित
चतरल बेल देखि
सम्मान अपन स्वाभिमान के
परिवार आ समाज मे
अपन स्थान के
अहाँक सुता,
भरोस देल अहींक ज्ञान सँ
ओ तकै छैथि
जीवन केँ विविधता के
विश्वास एहि समाज पर
अपन रचनात्मकता पर
अहीं छियैन पहिल
श्रोता, पाठक आ अवलंब
हे पिता,
अहाँक परिचय
मात्र जनक भेनाइ नहि
अहाँक उत्तरदायित्व अछि
ओहि सँ बहुत बेसी
नहि छी अहाँ मात्र
अपन धियाक अभिमाने टा
अपन पूतक छी अहाँ गर्व
अहीँक पदचिन्ह अछि
ओकर बाट
अहीँक देखाओल भविष्य
बनत ओकर संस्कार
जँ सोचैत छी
पुष्पित पल्लवित होइत अहाँक आँगन
त करय पड़त तैयार
अपनहिं घर सँ
एकटा नबका माली
जे करय नबका युगक शुभारम्भ
हे पिता
अहीं छी आधार
नवयुगक सम्पादक
अहाँक परिचय
मात्र जनक भेनाइ नहि
अहाँक उत्तरदायित्व अछि
ओहि सँ बहुत बेसी