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हे पुण्यभूमि ! तुमको प्रणाम / विमल राजस्थानी
Kavita Kosh से
हे स्वतन्त्रता की रजत-विभा ! तुमको प्रणाम
हे प्रजातंत्र की स्वर्ण-प्रभा ! तुमको प्रणाम
शत-शत प्रणाम !
तेरे चरणों पर हुए निछावर कोटि शीश
तुझ पर कुर्बान हुए बापू से युगाधीश
बलिदानों ने विष-दंत गुलामी के तोड़े
बन गये फूल की छड़ी जालिमों के कोड़े
ओ साबरमती ! तुम्हारी मिट्टी को प्रणाम
वर्धा की पावन-पुण्य भूमि ! तुमको प्रणाम
शत-शत प्रणाम
तेरे कर-तल की गह शीतल, निर्मल छाया
पाकर हमने मिट्टी में सोना उपजाया
हम अपने बल-बूते पर तान खड़े सीना
शंकर से सीखा हमने कालकूट पीना
ओ देव-वंदिता मुक्ति ! तुम्हें शत-शत प्रणाम
ओ राष्ट्रभक्ति ! जनशक्ति, तुम्हें शत-शत प्रणाम