हे प्रभु ! / आन्ना अख़्मातवा / राजा खुगशाल
कठिन जवानी दी तुमने मुझे
और जीवन में दिए ढेर सारे दुख
मैं कैसे पवित्र करूँ
अपनी इस विदीर्ण आत्मा को
पुण्य के सहारे
भाग्य गाता है
तुम्हारे यश और कीर्ति के गान
किन्तु हे प्रभु !
तुम्हारी यह अभागिन दासी
रह गई फँसकर जीवन के दलदल में
नहीं बन सकेगी यह
तुम्हारे बगीचे का गुलाब
और न बन पाएगी
घास के तिनके पर चमकती ओस
क्योंकि मुझे पसन्द है — हर छोटी वस्तु
और किसी जाहिल की ज़ुबान से निकले
तुच्छ शब्द ।
19 दिसम्बर 1912
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Анна Ахматова
Дал Ты мне молодость трудную…
Дал Ты мне молодость трудную.
Столько печали в пути.
Как же мне душу скудную
Богатой Тебе принести?
Долгую песню, льстивая,
О славе поет судьба,
Господи! я нерадивая,
Твоя скупая раба.
Ни розою, ни былинкою
Не буду в садах Отца.
Я дрожу над каждой соринкою,
Над каждым словом глупца.
1912 г.